Rajasthan Ki Rituyen राजस्थान की जलवायु अधिकतर शुष्क या अर्ध-शुष्क है और वर्ष भर में काफी गर्म तापमान रहता है, साथ ही गर्मी और सर्दियों दोनों में चरम तापमान होते हैं। राजस्थान भारत के उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर पर स्थित है। राजस्थान में कर्क रेखा दक्षिणी भाग अर्थात बांसवाड़ा जिले के मध्य (कुशलगढ़) से होकर गुजरती है इसलिए हर साल 21 जून को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पर सूर्य सीधा चमकता है। राजस्थान का गर्मियों में सबसे ठंडा स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है इसी वजह से इसे राजस्थान का शिमला भी कहा जाता हैं जबकि राजस्थान सबसे गर्म जिला चुरु और सबसे गर्म स्थल जोधपुर जिले का स्थित फलोदी स्थान है।
Rajasthan Ki Rituyen
राजस्थान की ऋतुएँ
- ग्रीष्मकाल : मार्च से मध्य जून तक
- वर्षा ऋतु : मध्य जून से सितम्बर तक
- शरद ऋतु : सितम्बर से नवम्बर तक
- शीतकाल : नवम्बर से फरवरी तक
ग्रीष्मकाल : मार्च से मध्य जून तक
राजस्थान में मार्च से मध्य जून तक ग्रीष्म ऋतु होती है। और यहां सबसे अधिक गर्मी मई और जून महीने में पड़ती है इसका कारण यह है की ग्रीष्मकाल ऋतु में सूर्य उत्तरी गोलार्ध में रहता है मार्च में सूर्य उत्तर में कर्क रेखा की और बढ़ने लगता है तथा जून में सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है।
राजस्थान की ग्रीष्मऋतु में सूर्य की तीव्र किरणों, अत्यधिक तापमान के साथ साथ बहुत तेज़ गर्म हवाए राजस्थान में बहुत गर्मीं होने के कारण यहाँ वायु में से नमी समाप्त हो जाती है इसके परिणामस्वरुप निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनता है अतः उच्च वायुदाब से वायु निम्न वायुदाब की और तेजगति से आती है इस कारण से राजस्थान में आंधियों का प्रवाह बना रहता है। गर्म शुष्क हवाओं को “लू ” कहते है।
वर्षा ऋतु : मध्य जून से सितम्बर तक
राजस्थान में वर्षा ऋतु मध्य जून से सितम्बर तक होती है राजस्थान में वर्षा मानसून के कारण होती है। मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसिम शब्द से हुई है। जिसका अर्थ मौसम है
राजस्थान में वर्षा २ प्रकार के मानसून से होती है जो की निम्नलिखित है
- अरब सागर के मानसून से वर्षा
- बंगाल की खाड़ी के मानसून से वर्षा
अरब सागर के मानसून से वर्षा
राजस्थान में सर्वप्रथम अरब सागर का मानसून प्रवेश करता है। यह भारत के पश्चिमी तट पर वर्षा करता हुआ गुजरात काठिया वाड़ में वर्षा कर राजस्थान में बांसवाड़ा जिले में प्रवेश करता है। अरावली पर्वतमाला की स्थिति इसके समानान्तर होने की वजह से यह मानसून राजस्थान में अधिक वर्षा नहीं कर पाता है