Rajasthan Ke Pramukh Mele राजस्थान के प्रमुख मेले Notes

Rajasthan Ke Pramukh Mele भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर भिन्न भीं प्रकार के मेलो का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। कुछ ऐसे ही प्रमुख मेलो का वर्णन करने जा रहे है।

Rajasthan Ke Pramukh Mele

जयपुर के प्रमुख मेले

Table of Contents

➣ गणगौर मेला (जयपुर)

  • यह मेला चैत्र शुक्ल तृतीया को भरता है।
  • जयपुर में गणगौर महिलाओं का उत्सव नाम से भी प्रसिद्ध है।
  • यह जयपुर का बहुत लोकप्रिय मेला है

➣ गलता तीर्थ का मेला (जयपुर)

  • यह मेला मार्गशीर्ष एकम् (कृष्ण पक्ष) को भरता है।
  • रामानुज सम्प्रदाय की प्रधान पीठ गलता (जयपुर) में स्थित है।
See also  Rajasthan Ki Rituyen Notes राजस्थान की ऋतुएँ

बाड़ा पद्य पुरा का मेला (जयपुर)

  • यह भी जैन धर्म का मेला है।

धौलपुर के प्रमुख मेले

➣ मचकुण्ड तीर्थ मेला (धौलपुर)

  • यह मेला अश्विन शुक्ल पंचमी को भरता है।
  • इस मेले को तीर्थो का भान्जा कहते है।

➣ सैपऊ महादेव का मेला

बाबू महाराज का मेला

दौसा के प्रमुख मेले

बिजासन माता का मेला (लालसोट-दौसा)

  • यह मेला चैत्र पूर्णिमा को भरता है।

बूंदी के प्रमुख मेले

कजली तीज का मेला (बूंदी)

  • यह मेला भाद्र कृष्ण तृतीया को भरता है।

अलवर के प्रमुख मेले

चंद्रप्रभु का मेला (तिजारा – अलवर)

  • यह मेला फाल्गुन शुक्ल सप्तमी को भरता हैं।
  • यह भी जैन धर्म का मेला है।

भर्तृहरि का मेला (अलवर)

  • यह मेला भाद्र शुक्ल अष्टमी को भरता हैं।
  • इस मेले का आयोजन नाथ सम्प्रदाय के साधु भर्तृहरि की तपोभूमि पर होता हैं।
  • यह मेला मत्स्य क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला है।
  • भर्तृहरि की तपोभूमि के कनफटे नाथों की तीर्थ स्थली कहते है।

बांसवाडा के प्रमुख मेले

घोटिया अंबा मेला (बांसवाड़ा)

  • यह मेला ‘भीलों का कुम्भ‘ नाम से भी पहचाना जाता है।
  • यह मेला चैत्र अमावस्या को भरता है।

मानगढ़ धान का मेला (बांसवाड़ा)

  • यह मेला गोविंद गिरी की स्मृति मे भरता है।
  • यह मेला आश्विन पूर्णिमा को भरता है।

अजमेर के प्रमुख मेले

➣ पुष्कर मेला (पुष्कर अजमेर)

  • यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का मेला है। इस मेले को “तीर्थो का मामा” कहते है।
  • पुष्कर मेला मेरवाड़ा का सबसे बड़ा मेला है।
  • पुष्कर मेले के साथ-साथ पशु मेले का भी आयोजन होता है जिसे गिर नस्ल का व्यापार होता है।
  • पुष्कर मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।

बीकानेर के प्रमुख मेले

कपिल मुनि का मेला (कोलायत-बीकानेर)

  • कपिल मुनि का मेला जंगल प्रदेश का सबसे बड़ा मेला कहलाता है।
  • इस मेला का मुख्य आकर्षण “कोलायत झील पर दीपदान” है।
  • कपिल मुनि ‘सांख्य दर्शन’ के प्रवर्तक थे, जिन्हें भगवान विष्णु का पंचम अवतार माना जाता है।
  • कपिल मुनि का मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।

जैसलमेर के प्रमुख मेले

रामदेव मेला (रामदेवरा-जैसलमेर)

  • रामदेव मेला राजस्थान के जैसलमेर में रामदेवरा नामक स्थान पर लगता है।
  • आकर्षण का प्रमुख केन्द्र तेरहताली नृत्य है, जो कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
See also  Rajasthan Ki Mithe Pani Ki Jheel Notes, राजस्थान की मीठे पानी की प्रमुख झीलें

चुंधी तीर्थ का मेला (जैसलमेर)

  • चुंधी तीर्थ मंदिर में गणेश जी को शेर पर सवार दिखाया गया है।
  • हेरम्ब गणपति मंदिर” बीकानेर का वह मंदिर जिसमें गणपति मूषक पर सवार न होकर सिंह पर सवार है।
  • चुंधी तीर्थ का मेला श्री गणेश जी से संबंधित मेला है।

करौली के प्रमुख मेले

➣ श्री महावीर जी का मेला (चांदन-करौली)

  • राजस्थान के करौली जिले में स्थित श्री महावीर जी (चांदन गांव) जैन धर्म का बड़ा तीर्थ माना जाता है।
  • इस मेले के दौरान जिनेन्द्र रथ यात्रा आकर्षण का मुख्य केन्द्र होती है।
  • यह मेला चैत्र शुक्ल त्रयोदशी से वैशाख कृष्ण दूज तक भरता है।

कैला देवी (करौली)

  • त्रिकूट पर्वत की घाटी में कालीसिल नदी के किनारे यह मंदिर स्थित है।
  • कैलादेवी करौली के यदुवंशी राजवंश की कुलदेवी थी।
  • यहाँ कैला देवी का प्रसिद्ध लक्खी मेला भरता है।
  • कैला देवी का मेला प्रतिवर्ष चैत्र माह में लगता है।

चित्तौड़गढ़ के प्रमुख मेले

➣ माता कुंडालिनी का मेला (चित्तौड़गढ़)

  • माता कुंडालिनी के स्थान को राजस्थान का हरिद्वार कहते है।
  • यह मेला चित्तौड़गढ़ के राश्मि नामक स्थान पर भरता है।

भरतपुर के प्रमुख मेले

➣ रंगीन फव्वारों का मेला (डीग-भरतपुर)

  • यह मेला फाल्गुन पूर्णिमा को भरता है।
  • इस मेले में राजमहलों में रंगीन फव्वारों का प्रदर्शन होता है।

➣ भोजन थाली परिक्रमा मेला (कामा-भरतपुर)

  • यह मेला भाद्र शुक्ल दूज को भरता है।

झालावाड़ के प्रमुख मेले

➣ चंद्रभागा मेला (झालरापाटन -झालावाड़)

  • चंद्रभागा मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है, जिसमें मुख्यतः मालवी नसल का व्यापार होता है।
  • यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।
  • चंद्रभागा नदी पर बने शिवालय में पूजन होता हैं।

जोधपुर के प्रमुख मेले

लोटियों का मेला (मंडोर -जोधपुर)

  • यह मेला श्रावण शुक्ल पंचमी को भरता है।

➣वीरपुरी का मेला (मंडोर – जोधपुर)

  • यह मेला श्रावण कृष्ण पंचमी को भरता है।
  • श्रावण कृष्ण पंचमी को नाग पंचमी भी कहते है।
See also  Rajasthan Ki Mithe Pani Ki Jheel Notes, राजस्थान की मीठे पानी की प्रमुख झीलें

➣ वृक्ष मेला (खेजड़ली- जोधपुर)

  • यह मेला भारत का एकमात्र वृक्ष मेला है।
  • यह मेला भाद्र शुक्ल दशमी को भरता है।

सवाई माधोपुर के प्रमुख मेले

➣ चौथ माता का मेला (चोथ का बरवाडा)

  • इस मेले को “कंजर जनजाति का कुम्भ” कहते है।
  • यह मेला माध कृष्ण चतुर्थी को भरता है।

➣ त्रिनेत्र गणेश मेला (रणथंभौर -सवाई माधोपुर)

  • यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो कि विश्व धरोहर में शामिल रणथंभोर दुर्ग के भीतर बना हुआ है।
  • यह मेला भाद्र शुक्ल चतुर्थी को भरता है।

श्रीगंगानगर के प्रमुख मेले

➣ डाडा पम्पाराम का मेला (विजयनगर-श्री गंगानगर)

  • यहां संत डाडा पम्माराम का हर साल सात दिन मेला भरता है।
  • यहां डाडा पम्माराम की समाधि बनी है।
  • यहां संत डाडा पम्माराम का हर साल सात दिन मेला भरता है।
  • यह मेला फाल्गुन माह मे भरता है।

➣ बुढा जोहड़ का मेला (डाबला-रायसिंहनगर-श्री गंगानगर)

  • श्रावण अमावस्या को मुख्य मेला भरता है।

डूंगरपुर के प्रमुख मेले

➣ बेणेश्वर धाम मेला (डूंगरपुर)

  • बेणेश्वर धाम मेले को बागड़ का पुष्कर व आदिवासियों मेला भी कहते है।
  • यह मेला सोम, माही व जाखम नदियों के संगम पर मेला भरता है।
  • बेणेश्वर धाम मेला माघ पूर्णिमा को भरता हैं।
  • संत माव जी को बेणेश्वर धाम पर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

बांरा के प्रमुख मेले

➣ डोल मेला (बारां)

  • बारां में स्थित कल्याणराय जी का मंदिर श्रीजी
  • डोल मेले को श्री जी का मेला भी कहते हैं ।
  • यह मेला भाद्र शुक्ल एकादशी को भरता है।

➣ सीताबाड़ी का मेला (केलवाड़ा – बारां)

  • सीताबाड़ी मेले में सहरिया जनजाति के लोगों की जीवन शैली का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिलता है।
  • सीताबाड़ी मेले को “सहरिया जनजाति का कुम्भ” कहते है।
  • हाडौती अंचल का सबसे बडा मेला है।
  • सीताबाड़ी का यह मेला ज्येष्ठ अमावस्या को भरता है।

चूरू के प्रमुख मेले

साहवा का मेला (चूरू)

  • सिंख धर्म का सबसे बड़ा मेला है।
  • यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।

सिरोही के प्रमुख मेले

➣ गौर का मेला (सिरोही)

  • गौर के मेले को ‘ गरासिया जनजाति का कुम्भ’ कहते है।
  • गौर का मेला वैशाख पूर्णिमा को भरता है।

उदयपुर के प्रमुख मेले

➣ ऋषभदेव जी का मेला (धुलेव-उदयपुर)

  • केशरियानाथ जी का मेला उदयपुर के धुलेव गाँव में लगता है।
  • केशरियानाथ जी का मेला प्रतिवर्ष चेत्र अष्टमी को लगता है।
  • इसे केसरिया जी, आदिनाथ जी, धूलेव जी, तथा काला जी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।

प्रतापगढ़ के प्रमुख मेले

➣ भूरिया बाबा/ गौतमेश्वर मेला (अरनोद-प्रतापगढ़)

  • भूरिया बाबा/ गौतमेश्वर मेले को “मीणा जनजाति का कुम्भ” कहते है।
  • भूरिया बाबा/ गौतमेश्वर मेला वैशाख पूर्णिमा को भरता हैं।

पाली के प्रमुख मेले

➣ खेतला जी का मेला (पाली)

  • यह मेला चैत्र कृष्ण एकम् को भरता है।

टोंक के प्रमुख मेले

डिग्गी कल्याण जी का मेला (टोंक)

  • कल्याण जी का मेला श्रावण अमावस्या व वैशाख में भरता है।
  • कल्याण जी विष्णु जी के अवतार माने जाते है।

भीलवाड़ा के प्रमुख मेले

डिग्गी कल्याण जी का मेला (टोंक)

  • फूलडोल मेला (शाहपुरा- भीलवाड़ा)

राजसंमंद के प्रमुख मेले

अन्नकूट मेला (नाथद्वारा- राजसमंद)

  • अन्नकूट मेला गोवर्धन मेले के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह मेला कार्तिक शुक्ल एकम को भरता है।

झुंझुनू के प्रमुख मेले

➣ राणी सती का मेला (झुंझुनू)

  • राणी सती मेले पर सती प्रथा निवारण अधिनियम -1987 के तहत् सन 1988 को रोक लगा दी गई।
  • यह मेला भाद्रपद अमावस्या का भरता था।

Read More Topic

राजस्थान की मीठे पानी की प्रमुख झीलें Notes

Leave a Comment